Tuesday, March 14, 2006

Aafreen Aafreen

Category : Album
Singer : Nusrat Fateh Ali Khan

हुस्न-ए-जानां की तारीफ़ मुमकिन नहीं
आफरीं आफरीं, आफरीं आफरीं
तू भी देखे अगर, तो कहे हमनशीं

ऎसा देखा नहीं खूबसूरत कोई
जिस्म जैसे अजंता की मूरत कोई
जिस्म जैसे निगाहों पे जादू कोई
जिस्म नगमा कोई, जिस्म खुशबू कोई
जिस्म जैसे मचलती हुई रागिनी
जिस्म जैसे महकती हुई चाँदनी
जिस्म जैसे है खिलता हुआ एक चमन
जिस्म जैसे सूरज की पहली किरण
जिस्म तरशा हुआ, दिल कशो-दिल नशीं
सन्दली सन्दली, मर्मरी मर्मरी

हुस्न-ए-जानां की तारीफ़ मुमकिन नहीं...

चेहरा एक फूल की तरह शादाब है
चेहरा उसका है या मेहताब है
चेहरा जैसे गज़ल, चेहरा जान-ए-गज़ल
चेहरा जैसे कली, चेहरा जैसे कँवल
चेहरा जैसे तसव्वुर की तसवीर भी
चेहरा इक ख्वाब भी, चेहरा ताबीर भी
चेहरा कोई अलिफ-लैलवी दास्ताँ
चेहरा इक पल यकीन चेहरा इक पल गुमान
चेहरा जैसे के चेहरा कोई भी नहीं
माहरूँ माहरूँ, महजबीं महजबीं

हुस्न-ए-जानां की तारीफ़ मुमकिन नहीं...

आँखें देखी तो मैं देखता रह गया
जाम दो और दोनों ही दो आतिशाँ
आँखें या मैकदे के ये दो बाब हैं
आँखें इनको कहूँ या कहूँ ख्वाब हैं
आँखें नीची हुई तो हया बन गयीं
आँखें ऊँची हुई तो दुआ बन गयीं
आँखें झुक कर उठी तो अदा बन गयीं
आँखें जिनमें है क़ैद आसमाँ और ज़मीं
नर्गिसी नर्गिसी, सुरमई सुरमई

हुस्न-ए-जानां की तारीफ़ मुमकिन नहीं...

ज़ुल्फ़-ए-जानां की भी लंबी है दास्तां
ज़ुल्फ़ कि मेरे दिल पर है परछाईयाँ
ज़ुल्फ़ जैसी कि उमड़ी हुई हो घटा
ज़ुल्फ़ जैसी कि हो कोई काली बला
ज़ुल्फ़ उल्झे तो दुनिया परेशान हो
ज़ुल्फ़ सुल्झे तो ये गीत आसान हो
ज़ुल्फ़ बिखरे सिया रात छाने लगे
ज़ुल्फ़ लहराऎ तो रात गाने लगे
ज़ुल्फ़ ज़ंजीर है फ़िर भी कितनी हसीन
रेशमी रेशमी, अंबरी अंबरी

आफरीं आफरीं, आफरीं आफरीं
हुस्न-ए-जानां की तारीफ़ मुमकिन नहीं
तू भी देखे अगर, तो कहे हमनशी
हुस्न-ए-जानां की तारीफ़ मुमकिन नहीं

:)

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